ज्यादा मेगापिक्सल से नहीं इन 6 फीचर्स से आएगी धांसू तस्वीर, प्रोफेशनल फोटोग्राफर भी हो जाएंगे फेल, हर कोई करेगा तारीफ- Newsaffairs.in


हाइलाइट्स

आमतौर पर यह माना जाता है कि ज्यादा मेगापिक्सल से अच्छी फोटो आती है.
हालांकि, एक शानदार फोटो क्लिक करने के लिए अन्य फैक्टर भी अहम होते हैं.
अच्छी फोटो लेने के लिए एचडीआर, OIS और लेंस भी जरूरी होते हैं.

नई दिल्ली. जब हम फोन खरीदने के लिए मार्केट में जाते हैं, तो सबसे पहले फोन कैमरा पिक्सल के बारे में पूछते हैं. इसकी सबसे वजह यह कि ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि ज्यादा मेगापिक्सल वाले फोन से शानदार फोटो आएगी, लेकिन असल कहानी कुछ और ही है. अगर आपके पास नॉर्मल मेगापिक्सल वाला फोन है, तो भी आप ज्यादा क्रिस्प और शार्प फोटो क्लिक कर सकते हैं. अगर आपके किसी दोस्त या रिश्तेदार के पास ज्यादा मेगापिक्सल केमरे वाला फोन हो, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह आप से बेहतर पिक्चर क्लिक कर सकते हैं.

दरअसल, एक पिक क्लिक करने के लिए आपको कैमरे के मेगापिक्सल के साथ-साथ कई अन्य चीजों की भी जरूरत होती है. फोन के सॉफ्टवेयर से लेकर हार्डवेयर तक काफी कुछ ऐसा है जो एक शानदार फोटो के लिए जरूरी है. इसमें कैमरा लेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), OIS और अपार्चर आदि शामिल हैं. इन फीचर्स की मदद आप प्रोफेशनल फोटोग्राफर जैसी तस्वीरें क्लिक कर सकते हैं, तो चलिए अब आपको बताते हैं कि ज्यादा मेगापिक्सल कैमरे के बिना भी आप कैसे एक अच्छी तस्वीर क्लिक कर सकते हैं.

लेंस
आजकल बजट और मिडरेंज स्मार्टफोन भी ट्रिपल कैमरा सेटअप के साथ आते है. इनमें अल्ट्रावाइड लेंस, मैक्रो लेंस, टेलीफोटो लेंस मिलते हैं. वैसे स्मार्टफोन अब चार और पांच कैमरे के साथ भी आते हैं, लेकिन ट्रिपल कैमरा सेटअप सबसे आम है. अल्ट्रावाइड लेंस नॉर्मल लेंस से ज्यादा गोल होता है जिससे एंगल ज्यादा मिलता है. वाइड या अल्ट्रा वाइड कैमरा का फील्ड ऑफ व्यू नॉर्मल कैमरे से अधिक होता है. अगर आपको नॉर्मल फ्रेम से ज्यादा एरिया कवर करना है, तो अल्ट्रावाइड लेंस सबसे सही होता है, अल्ट्रावाइड कैमरे का ऑटो फोकस जितना अच्छा होगा इमेज उतने ही बेहतर आएगी.

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OIS
ऑप्टिकल इमेज स्टेबलाइजेशन ( OIS) एक हार्डवेयर बेस्ड फीचर है. अक्सर फोटो क्लिक करते समय हमारे हाथ का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे हमारी फोटो खराब हो जाती है. OIS फीचर ऐसे में सबसे ज्यादा काम आता है. आपके हाथ के मूव करने के साथ फोन का कैमरा भी थोड़ा सा मूव करता है और फोटो खराब होने से बच जाती है. ये मूवमेंट इतनी बारीक होती है कि इसे आंखों से देखना असंभव है.

Aperture
अपर्चर शब्द से आप वाकिफ होंगे. दरअसल, कैमरे का अपर्चर फोटो लेने के समय खुलता है और फिर तुरंत बंद हो जाता है. यह फोटो क्लिक करते समय रोशनी कैद करता है. ऐसे में कैमरे में जितनी ज्यादा रोशनी आएगी, फोटो उतनी शादार होगी. अपर्चर की रेटिंग आंकड़ों से हिसाब से जितनी कम होगी, उतना बेहतर.

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Zoom
ये शब्द या फीचर भी खूब सुनाई देता है. यह तीन किस्म का होता है, जिसमें ऑप्टिकल जूम, हाइब्रिड और डिजिटल जूम शामिल हैं. ऑप्टिकल जूम हार्डवेयर पर ऑपरेट होता है. मतलब जब आप जूम करेंगे तो लेंस मूव होगा और ऑब्जेक्ट की क्वालिटी खराब नहीं होगी. डिजिटल तो नाम से ही साफ है यानी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होगा तो क्वालिटी के साथ समझौता होना तय है. असल मे डिजिटल जूम एडिटिंग में काम आने वाला फीचर है, लेकिन स्मार्टफोन कंपनियां भी कैमरे के साथ देती हैं. वहीं, हाइब्रिड जूम थोड़ा ऑप्टिकल और थोड़ा डिजिटल होता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
स्मार्टफोन कैमरे में भी AI का बेहतरीन इस्तेमाल हो सकता. कैमरे का AI या सॉफ्टवेयर ये समझ लेता है कि आपने जो फोटो ली है वो कैसी है. फोटो लेते समय लाइट कैसी थी. एक बार AI ये समझ लेता है, तो अपना इनपुट डालकर आपके सामने नई फोटो पेश करता है. अब ये प्रोसेस इतनी जल्दी होता है कि आपको पता भी नहीं चलता है.

HDR
हाई डायनमिक रेंज एक सॉफ्टवेयर बेस्ड फीचर है. आसान भाषा में समझें, तो तेज धूप में यदि आप फोटो ले रहे हैं, तो मुमकिन है छांव वाला एरिया बेरंग या काला नजर आए और छांव पर फोकस किया तो धूप वाला एरिया सफेद व चमकदार नजर आने लगे. ऐसी परिस्थिति में एचडीआर मोड काम आता है. इस मोड में बहुत सारे इमेज से मिलाकर एक फाइनल इमेज तैयार की जाती है. आमतौर पर एचडीआर को नॉर्मल कंडीशन में इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती. हां, रोशनी का बैलेंस बनाना है तो एचडीआर मोड बढ़िया है.

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