बोलते और सुनते तो पहले ही थे, अब कोई छुएगा तो फील करेंगे रोबोट, इंसान बनने के काफी करीब- Newsaffairs.in


हाइलाइट्स

एडिनबर्ग विश्वविद्यालय की टीम लेक्ट्रॉनिक स्किन डेवलप की है.
यह स्किन सॉफ्ट रोबोट में Self-Awareness पैदा करेगी.
इससे रोबोट अपनी मूवमेंट का सटीक पता लगा सकते हैं.

नई दिल्ली. वैज्ञानिकों की एक टीम ने इलेक्ट्रॉनिक स्किन विकसित की है. यह स्किन सर्जिकल प्रक्रिया और मोबिलिटी में लोगों की मदद करेगी. एडिनबर्ग के रिसर्चर द्वारा डेवलप की गई स्ट्रेचेबल ई-स्किन सॉप्ट रोबोट को इंसान और जानवरों की तरह फिजिकल Self-Awareness प्रदान करेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीक ऐसे सॉफ्ट रोबोटिक्स बनाने में नए मदद कर सकती है, जो सबसे सेंसेटिव वातावरण में अपनी मूवमेंट का सटीक पता सकते हैं.

बता दें कि सॉफ्ट रोबोट धातु या हार्ड प्लास्टिक के बजाय लचीली मटैरियल से बने होते हैं. ई-स्किन के जरिए खतरनाक एंवायरन्मेंट का पता लगाने के लिए सर्जिकल टूल, प्रास्थेटिक और डिवाइस सहित कई प्रकार के प्रयोग किए जा सकते हैं. पारंपरिक रिजिड रोबोट जिनकी मूवमेंट की एक सीमा होती है. उनके विपरीत सॉफ्ट रोबोट अत्यधिक लचीले होते हैं.

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रिसर्चर्स का मानना है कि इनमें सेंसिंग सिस्टम विकसित करना एक बड़ी चुनौती है और यह रोबोट के लिए सटीक कार्य करने, लोगों और पर्यावरण के साथ सुरक्षित रूप से बातचीत करने के लिए आवश्यक है. सॉफ्ट रोबोट ई-स्किन के बिना अपनी खुद की मोशन और शेप को नहीं समझ सकता है. वह यह नहीं समझ सकता कि ये क्वालिटी उसके एंवायरन्मेंट के साथ कैसे इंटरैक्ट करेगी.

मूवमेंट की सटीक जानकारी
इस बीच एडिनबर्ग विश्वविद्यालय की टीम ऐसी तकनीक विकसित करने वाली है, जो इस समस्या पर काबू पा सकती है और यह ज्यादा सटीक, रियल टाइम सेंसिंग क्षमता वाले सॉफ्ट रोबोट प्रदान करती है.रिसर्चर्स ने वायर और सेंसिटिव डिटेक्टर के साथ एम्बेडेड सिलिकॉन की पतली लेयर से बनी एक फ्लेक्सिबल ई-स्किन बनाई है. इस ई-स्किन की मोटाई 1 मिमी है.

रिसर्चर्स ने किया परीक्षण
इसकी मदद से शोधकर्ता सॉफ्ट रोबोट को रियल टाइम में तीन डायमेंशन मोशन और डिफोर्मेशन को समझने की क्षमता दे सकते हैं. टीम ने ई-स्किन को सॉफ्ट रोबोट आर्म में फिट करके टेस्ट किया. उन्होंने पाया कि तकनीक डिवाइस के हर हिस्से में ब्लेंडिग, स्ट्रैचिंग और घुमाने की गतिविधियों को महसूस करने में सक्षम थी.

रोबोट की सेंसिंग कैपेबलिटी में होगा बदलाव
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के डॉ युन्जी यांग का कहना है कि इस नई तकनीक द्वारा रोबोटिक डिवाइसों को दिए जाने वाले Perceptive Senses इंसान और जानवरों के समान हैं. यह रोबोट की सेंसिंग कैपेबलिटी में एक नए बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है. हमने जो तकनीक विकसित की है, उसके लचीलेपन का मतलब है कि इसे विभिन्न सॉफ्ट रोबोटों पर लागू किया जा सकता है, ताकि वे अपने शेप और मूवमेंट को सटीक रूप से समझ सकें.

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