नई दिल्ली. अगर हौसले बुलंद हों तो दुनिया की कोई ताकत कामयाब होने से नहीं रोक सकती. कुछ ऐसा ही काम 17 साल की उम्र में इंजीनियरिंग छोड़कर रितेश अग्रवाल (Oyo Rooms Founder Ritesh Agarwal) ने कंपनी शुरू कर किया. बिना किसी की मदद के शुरू किए कारोबार को 71 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की ऊंचाई पर पहुंचा दिया है. वहीं, हुरुन रिच लिस्ट 2020 (Hurun Rich List 2020) में अब ओयो के फाउंडर और 24 साल के सबसे युवा भारतीय रितेश अग्रवाल को भी जगह मिली. उनकी नेटवर्थ 110 करोड़ डॉलर (करीब 8,000 करोड़ रुपये) है. रितेश की ओयो रूम्स (Oyo Rooms) देश की कामयाब इंटरनेट कंपनियों की लिस्ट में फ्लिपकार्ट (20 अरब डॉलर) और पेटीएम (10 अरब डॉलर) के बाद तीसरी कंपनी बन गई है. यह देश की सबसे बड़ी होटल चेन भी है.
आइए जानें ओयो रूम के फाउंडर रितेश अग्रवाल के सफर की कहानी…
ऐसे शुरू हुई कंपनी- रितेश को घूमने का काफी शौक था. साल 2009 में उन्हें देहरादून और मसूरी जाने का मौका मिला. यहां उन्हें महसूस हुआ कि कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं.
>> ऐसे ही अनुभवों ने रितेश को प्रेरित किया और उन्होंने एक ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी बनाने के बारे में सोचा, जहां एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी के मालिकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से पर्यटकों को बेड एंड ब्रेकफास्ट के साथ रहने की किफायती सुविधा मुहैया करवाई जा सके.
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>> साल 2011 में रितेश ने ओरावेल की शुरुआत की. रितेश के आइडिया से प्रभावित होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरावेल में निवेश किया और को-फाउंडर बन गए.
ओयो होटल्स के संस्थापक रितेश अग्रवाल
>> फिर 2012 में ओरावेल को आर्थिक मजबूती मिली, जब देश के पहले एंजल आधारित स्टार्ट-अप एक्सलेरेटर वेंचर नर्सरी एंजल से बुनियादी पूंजी प्राप्त हुई.
>> हालांकि, वेंचर को खड़ा करने में रितेश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनमें प्रमुख थीं- फंडिंग, मार्केटिंग और प्रॉपर्टी के मालिकों और निवेशकों तक पहुंचना.
>> जब रितेश अग्रवाल ने ओरावेल डॉट कॉम की शुरुआत की, तब वह सिर्फ 17 वर्ष के थे. इस वेंचर की शुरुआत के पीछे रितेश का मकसद देश भर के पर्यटकों को किफायती दरों पर रहने की सुविधा मुहैया करवाना था.
>> ओरावेल एक ऐसा मार्केटप्लेस है, जहां अपार्टमेंट्स और रूम्स की 3,500 से भी ज्यादा लिस्टिंग में से आप अपने लिए आरामदायक और अफोर्डेबल रूम्स तलाश सकते हैं और बुक कर सकते हैं, जो उसी क्षेत्र में समान सुविधाएं प्रदान करने वाले होटलों की आधी कीमत में उपलब्ध हैं.
>> यह कंपनी ओयो इन्स (ओयोहोटल्स डॉट कॉम) का संचालन भी करती है, जहां कम कीमत के होटल्स की एक चेन उपलब्ध है.
>> रितेश अग्रवाल का जन्म ओडिशा के दक्षिण में स्थित एक छोटे से शहर बिसमकटक में हुआ, जो नक्सली गतिविधियों के लिए जाना जाता है. रितेश कॉलेज ड्राप आउट हैं. लेकिन यही कमजोरी उनकी ताकत बन गई है.
>> शुरुआती स्कूली शिक्षा रायगढ़ के सेक्रेट हार्ट स्कूल से की है. मिजाज से घुमक्कड़ रितेश छोटी उम्र से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग से बहुत प्रेरित रहे हैं और वेदांता के अनिल अग्रवाल को अपना आदर्श मानते हैं.
>> अग्रवाल आईआईएम, आईआईटी, एचबीएस और आईवी लीग्स में पढ़े लोगों की टीम का नेतृत्व करने वाले एकमात्र ड्रॉपआउट हैं. वो कहते हैं, भारत में, ड्राप आउट का मजाक बनाया जाता है. इसे स्मार्ट और समझदार नहीं समझा जाता है. रितेश ने एक बार इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ साल में देश में कुछ और ड्राप आउट नाम कमाएंगे.
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FIRST PUBLISHED : February 27, 2020, 14:27 IST